वो हालत की मजबूरी से चाहता था मुझे
फिर हर पल उसने अपना पयार जताया कयूँ
खबर थी उसको की हो जायेँगे जूदा एक दिन
फिर हर पल वो मेरे करीब आया कयूँ
अगर उसे भी एक दर्द देकर ही जाना था
तो आज तक मेरे जखम को सहलाये कयूँ
अगर यूँ तनहा छोडना था राह ए सफर मेँ
तो अब तक हाथ पकड कर चलना सिखाया कयूँ
मेरी आखोँ को यूँ ही उसने रूलाया था
तो मोहबत के सपनो से फिर उनको सजाया कयूँ
फिर हर पल उसने अपना पयार जताया कयूँ
खबर थी उसको की हो जायेँगे जूदा एक दिन
फिर हर पल वो मेरे करीब आया कयूँ
अगर उसे भी एक दर्द देकर ही जाना था
तो आज तक मेरे जखम को सहलाये कयूँ
अगर यूँ तनहा छोडना था राह ए सफर मेँ
तो अब तक हाथ पकड कर चलना सिखाया कयूँ
मेरी आखोँ को यूँ ही उसने रूलाया था
तो मोहबत के सपनो से फिर उनको सजाया कयूँ
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